हमारे महान आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार अपनी इच्छा के मुताबिक संतान
यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ
माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
1- चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है।
2- पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी।
3- छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा।
4- सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी।
5- आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है।
6- नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है।
7- दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है।
8- ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है।
9- बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।
10- तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।
11- चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है।
12- पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है।
13 सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है।
न पैदा कर सकते हैं मगर आजकल जो भ्रूण हत्या का महॉल चल रही है वो तो सरासर ग़लत है इसको रोकना होगा शास्त्रोनुसार मनचाही संतान की प्राप्ति संभव है मगर इंसान को शास्त्रों के अनुसर्ञ करना ज़रा मुस्किल ज़रूर है असंभव नही है ग्रंथों में पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व बताया गया है। धर्म ग्रंथों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है।यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ
माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
1- चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है।
2- पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी।
3- छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा।
4- सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी।
5- आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है।
6- नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है।
7- दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है।
8- ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है।
9- बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।
10- तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।
11- चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है।
12- पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है।
13 सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है।
दो हजार वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं सर्जन सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है।
अगर कोई ना समझे तो कोई कया कर सकता है मगर है सभ कुछ आपके अपने हाथ मैं
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