रंग गोरा करने के लिए


गोरा रंग करने के लिए उपचार
रंग गोरा करने के लिए उपलब्ध कई सौंदर्य प्रसाधन बाजार मैं होते है मगर अपने देखा होगा की
fair-care
टेलीविज़न या कई परचर देखने के बाद आप उस प्रसाधन का जब इस्तेमाल करते है तो आपको निष्पक्ष रूप मे कोई सही परिणाम नही मिलता क्योकि ये सभी उत्पाद पैसा कमाने के लिए बनते है ओर अधिकतर कंपनी इससे कमाई करने मैं तो सफल हो जाती है मगर आपका मेहनत से कमाया हुया पैसा बेकार चला जाता है ओर कई दफ़ा आपका रंग ओर अधिक खराब हो जाता है 

इन सभी चीज़ो को नज़र मे रखते हुए हमने  आपके चेहरे की चमक को बरकरार रखने के लिए जाँचे परखे उत्पादो भी लिखने शुरू किए हैं
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जो रंग गोरा करने के साथ साथ त्वचा को कोमल नरम,मुलायम करने  के लिए प्रभावी और सिद्ध हो रहे हैं.
गोल्ड फॅशियल किट
यह तवचा को स्वस्थजानदार गोरा , मुलायम ,चमकदार ,कांतीमये, तथा छुरिया  रहित बनाने के लिए इससे  कम से कम साप्ताह मे एक बार फेशियल ज़रूर करना चाहिए
अगर आपके चेहरे पर किसी तरह के दाग-धब्बे ,निशान, कील छाई काले घेरे इटियादी हैं तो आपको हेर्बल गोल्ड फॅशियल किट  मंगवा कर ज़रूर इस्तेमाल करनी चाहिए
नकली ओर केमिकल युक्त फेशियल कभी भी नही करवाना चाहिए
घरेलू उपचार प्राकृतिक और किसी भी पक्ष प्रभाव के बिना कर रहे हैं. त्वचा निष्पक्ष बनाने और रंग में सुधार लाने के लिए घरेलू उपचार से कुछ हैं:

अगर आप इसके साथ साथ घरेलू व प्राकृतिक उपचार भी शुरू कर सकती हैं जो आपकी तव्चा को नरम एव आपके रंग में निखार लाने के लिए घरेलू उपचार से कुछ नीचे लिखे गये हैं * 2 चम्च बेसन, नींबू का रस की 6 बूँदें, कच्चे दूध का 1 चम्मच और नरम त्वचा पाने के लिए फेस पैक बनाने के लिए जैतून का तेल की कुछ बूँदें ले लो. ओर इनको मिलकर अपने चेहरे पर लेप करे 1-2 घंटे बाद हल्के गरम पानी के साथ धो ले
* सूखे संतरे का छिलका  पीस कर दूध के साथ मिश्रण का लेप करे गोरी त्वचा देने  के लिए यह पर्योग बढ़िया है.
* कच्चे दूध में 4 बादाम के साथ काले चने भिगो दें और यह सुबह में पीस लें ओर लेप करे कुछ ही दिन में ही आपकी त्वचा मे हल्का बदलाव आना शुरू हो जाएगा अपनी त्वचा पर इस पैक लागू करें. बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए दैनिक इस मिश्रण का प्रयोग करें.
* ककड़ी का रस, नींबू का रस और कुछ गुलाब जल से मिलकर फेस पैक बहुत प्रभावी है. शहद और नींबू के रस के साथ एक चेहरा मुखौटा कोशिश करें. कम से कम ध्यान देने योग्य परिणाम प्राप्त करने के लिए एक सप्ताह के लिए लगातार ओर साथ मैं फेस पैक के साथ फेस मास्क का प्रयोग ज़रूर करें.

 

पुत्र प्राप्ति हेतु गर्भाधान का तरीका

हमारे महान आयुर्वेद ग्रंथों के अनुसार अपनी इच्छा के मुताबिक संतान
यदि आप पुत्र प्राप्त करना चाहते हैं और वह भी गुणवान, तो हम आपकी सुविधा के लिए हम यहाँ
Get Baby as your Thinking
माहवारी के बाद की विभिन्न रात्रियों की महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं।
1- चौथी रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र अल्पायु और दरिद्र होता है।
2- पाँचवीं रात्रि के गर्भ से जन्मी कन्या भविष्य में सिर्फ लड़की पैदा करेगी।
3- छठवीं रात्रि के गर्भ से मध्यम आयु वाला पुत्र जन्म लेगा।
4- सातवीं रात्रि के गर्भ से पैदा होने वाली कन्या बांझ होगी।
5- आठवीं रात्रि के गर्भ से पैदा पुत्र ऐश्वर्यशाली होता है।
6- नौवीं रात्रि के गर्भ से ऐश्वर्यशालिनी पुत्री पैदा होती है।
7- दसवीं रात्रि के गर्भ से चतुर पुत्र का जन्म होता है।
8- ग्यारहवीं रात्रि के गर्भ से चरित्रहीन पुत्री पैदा होती है।

9- बारहवीं रात्रि के गर्भ से पुरुषोत्तम पुत्र जन्म लेता है।
10- तेरहवीं रात्रि के गर्म से वर्णसंकर पुत्री जन्म लेती है।
11- चौदहवीं रात्रि के गर्भ से उत्तम पुत्र का जन्म होता है।
12- पंद्रहवीं रात्रि के गर्भ से सौभाग्यवती पुत्री पैदा होती है।
13 सोलहवीं रात्रि के गर्भ से सर्वगुण संपन्न, पुत्र पैदा होता है।
न पैदा कर सकते हैं मगर आजकल जो भ्रूण हत्या का महॉल चल रही है वो तो सरासर ग़लत है इसको रोकना होगा  शास्त्रोनुसार मनचाही संतान की प्राप्ति संभव है मगर इंसान को शास्त्रों के अनुसर्ञ करना ज़रा मुस्किल ज़रूर है असंभव नही है ग्रंथों में पुत्र-पुत्री प्राप्ति हेतु दिन-रात, शुक्ल पक्ष-कृष्ण पक्ष तथा माहवारी के दिन से सोलहवें दिन तक का महत्व बताया गया है। धर्म ग्रंथों में भी इस बारे में जानकारी मिलती है।

 दो हजार वर्ष पूर्व के प्रसिद्ध चिकित्सक एवं सर्जन सुश्रुत ने अपनी पुस्तक सुश्रुत संहिता में स्पष्ट लिखा है कि मासिक स्राव के बाद 4, 6, 8, 10, 12, 14 एवं 16वीं रात्रि के गर्भाधान से पुत्र तथा 5, 7, 9, 11, 13 एवं 15वीं रात्रि के गर्भाधान से कन्या जन्म लेती है।
अगर कोई ना समझे तो कोई कया कर सकता है मगर है सभ कुछ आपके अपने हाथ मैं
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बाँझपन -बन्ध्यत्व का इलाज

बाँझपन -बन्ध्यत्व का इलाज

स्त्री बाँझपन तीन प्रकार का होता है-
पहला- आदि बन्ध्यत्व यानी जो स्त्री पूरे जीवन में कभी गर्भ धारण ही न क
दूसरा- काक बन्ध्यत्व यानी एक संतान को जन्म देने के बाद किसी भी कारण के पैदा होने से फिर गर्भ धारण न करना। एक संतान हो जाने के बाद स्त्री को बाँझ नहीं कहा जा सकता अतः ऐसी स्त्री को काक बन्ध्त्व यानी वन चाइल्ड स्टेरेलिटी कहते हैं।
तीसरा- गर्भस्रावण बन्ध्यत्व यानी गर्भ तो धारण कर ले पर गर्भकाल पूरा होने से पहले ही गर्भस्राव या गर्भपात हो जाए। इसे रिलेटिव स्टेरिलिटी कहते हैं।

इसके अलावा स्त्री के प्रजनन अंग का आंशिक या पूर्णतः विकसित न होना यानी योनि या गर्भाशय का अभाव, डिंबवाहिनी यानी फेलोपियन ट्यूब में दोष होना, पुरुष शुक्राणुहीनता के कारण गर्भ धारण न कर पाना, श्वेत प्रदर, गर्भाशय ग्रीवा शोथ, योनि शोथ, टीबी आदि कारणों से योनिगत स्राव क्षारीय हो जाता है, जिसके संपर्क में आने पर शुक्राणु नष्ट हो जाते हैं व गर्भ नहीं ठहर पाता।
इस प्रकार बन्ध्यत्व को दो भागों में बाँटा जा सकता है, एक तो पूर्ण रूप से बन्ध्यत्व होना, जिसका कोई इलाज न हो सके और दूसरा अपूर्ण बन्ध्यत्व होना, जिसे उचित चिकित्सा द्वारा दूर किया जा सके। 
रे, इसे प्राइमरी स्टेरेलिटी कहते हैं।
इलाज                                                            
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इस बीमारी मैं सबसे पहले यह देख ले की नुकस मर्द मैं है या औरत मैं अगर मर्द मैं शुक्राणु की कमी है तो शुक्राणु की कमी दूर कने के लिए सबींधित पेज पर देख कर उसका इलाज करे ओर अगर औरत मैं कमी है तो उसके लिए 2 शीसी आसोका अरिष्ट की ज़रूर पिलये ओर होम्योपैथिक इलाज करे जो जल्दी असर करता है अगर कोई फ़र्क माएःसूस ना हो तो हमसे संपर्क करे
 होम्योपैथिक दवाए जो आयुर्वेदिक जड़ी बूटिओ के अरक से एक्सट्रॅक्ट करे तेयार की जाती हैं 
किसी होम्योपैथिक चिकित्सक से सलाह लें या निम्नलिखित दवाई का प्रयोग करें-
सीपिया-30 : जरायु से संबंधित रोगों व बन्ध्यत्व के लिए यह मुख्य औषधि है। इसके लिए सीपिया-30 शक्ति की गोली सुबह-शाम लाभ न होने तक चूसकर लेना चाहिए।
कोनियम मेक : सिर को दाएँ-बाएँ हिलाने से चक्कर आ जाना इसका मुख्य लक्षण है। बाँझ स्त्री में यह लक्षण होना ही इस दवा को चुन लेने के लिए काफी है। डिम्ब कोश की क्षीणता के कारण गर्भ स्थापित न होता हो तो कोनियम मेक का सेवन लाभ करता है। कोनियम मेक सिर्फ 3 शक्ति में सुबह-शाम चूसकर सेवन करना चाहिए।
प्लेटिना 6 एक्स: अत्यंत संवेदनशील और भावुक स्वभाव होना, जननांग को छूते ही स्त्री का शरीर ऐंठने, मचलने लगे, अत्यंत कामुक प्रकृति, हिस्टीरियाई रोग के लक्षण होना, मासिक धर्म अनियमित हो, तीव्र कामवासना की प्रवृत्ति हो तो प्लेटिनम या प्लेटिना 6 एक्स शक्ति में सुबह-शाम चूसकर लेना चाहिए।
पल्सेटिला : यह महिलाओं की खास दवा है। सीपिया और कैल्केरिया कार्ब की तरह यह दवा स्त्री के यौनांग पर विशेष प्रभाव डालती है

सफेद पानी यानी ल्यूकोरिया का इलाज

 सफेद पानी यानी  ल्यूकोरिया leukorrhea का इलाज

ल्यूकोरिया यानी सफेद पानी की बीमारी महिलाओं के शरीर को बेहद कमजोर कर देती है और
Leukorrhea
बोनस के रूप में कुछ और भी बीमारियों को पैदा कर देती है . जैसे त्वचा में रूखापन, गालों में गड्ढे, कमर दर्द, सेक्स में अरुचि, घुटनों में दर्द, पाचन में गड़बड़ी, चिडचिडापन  आदि इत्यादि. इसका एक बेहद सरल इलाज है-
एल्लोवेरा जूस का ल्गतर 2-3 माह तक रोजाना इस्तेमाल करना चाहिए ओर साथ मैं नीमिन पर्योग करे

कौंच के बीज कौंच को कपिकच्छु भी कहते हैं. इसमें कैल्शियम, फास्फोरस, लौह तत्व, प्रोटीन, गंधक और गेलिक एसिड पाया जाता है. इन बीजो का छिलका ज़हरीला होता है इन बीजों को रत को भिगो कर रख दे सुबह इसका छिलका नरम हो जाएगा इसको उतार कर सूखा कर इस्तेमाल करे  
आप कौंच के बीज लीजिये. उनका पीस कर  पावडर बना लीजिये .बस इसी पावडर को सुबह शाम पानी से निगल लीजिये .मात्रा होगी २-२ ग्राम.
देखिये फिर जल्दी ही आपको इस नामुराद बीमारी से २१ दिन में ही. कैसे छुटकारा मिलता है.

1-. ल्यूकोरिया की बीमारी में अशोक पेड़ की  छाल के चूर्ण वा मिश्री को सामान मात्रा में मिलाकर गाय के दूध के साथ सुबह शाम सेवन करना चाहिए। इसके अलावा आंवला, गिलोय के चूर्ण को अशोक की छाल के चूर्ण के साथ बराबर मात्रा में उबालकर उसमें जल मिलाएं और शहद के साथ सुबह शाम सेवन करें।
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नज़र की कमज़ोरी

नेत्रज्योति आँखों की रोशनी  बढ़ाने के लिए
eye disease
एलो ज्योति आँखों के सभी रोगों के लिए एक उत्तम टॉनिक है इसको सुबह शाम दोनो समये आँखो मैं डालना चाहिए यह आँखों की रोशनी को बढ़ाती है ओर चस्मे का नंबर छोटा करती है धीरे धीरे चश्मा उतारा जा सकता है
इस दवा के साथ रोग अनुसार नीचे दिए किसी एक पर्योग को इस्तेमाल कर्ण चाहिए 
 नज़र की कमज़ोरी
1-इन्द्रवरणा (बड़ी इन्द्रफला) के फल को काटकर अंदर से बीज निकाल दें। इन्द्रवरणा की फाँक को रात्रि में सोते समय लेटकर (उतान) ललाट पर बाँध दें। आँख में उसका पानी न जाये, यह सावधानी रखें। इस प्रयोग से नेत्रज्योति बढ़ती है।

2- त्रिफला चूर्ण को रात्रि में पानी में भीगोकर, सुबह छानकर उस पानी से आँखें धोने से नेत्रज्योति बढ़ती है।

चश्मा उतारने के लिएः
1- 7 बादाम, 5 ग्राम मिश्री और 5 ग्राम सौंफ दोनों को मिलाकर उसका चूर्ण बनाकर रात्रि को सोने से पहले दूध के साथ लेने से नेत्रज्योति बढ़ती है।
2- एक चने के दाने जितनी फिटकरी को सेंककर सौ ग्राम गुलाबजल में डालें और प्रतिदिन रात्रि को सोते समय इस गुलाबजल की चार-पाँच बूँद आँखों में डालकर आँखों की पुतलियों को इधर-उधर घुमायें। साथ ही पैरों के तलुए में आधे घण्टे तक घी की मालिश करें। इससे आँखों के चश्मे के नंबर उतारने में सहायता मिलती है तथा मोतियाबिंद में लाभ होता है।

रतौंधी अर्थात् रात को न दिखना (नाइट ब्लाइंडनेस)-
1- बेलपत्र का 20 से 50 मि.ली. रस पीने और 3 से 5 बूँद आँखों में आँजने से रतौंधी रोग में आराम होता है।
2-  श्याम तुलसी के पत्तों का दो-दो बूँद रस 14 दिन तक आँखों में डालने से रतौंधी रोग में लाभ होता है। इस प्रयोग से आँखों का पीलापन भी मिटता है।
3- 1 से 2 ग्राम मिश्री तथा जीरे को 2 से 5 ग्राम गाय के घी के साथ खाने से एवं लेंडीपीपर को छाछ में घिसकर आँजने से रतौंधी में फायदा होता है।
4- जीरा, आँवला  एवं कपास के पत्तों को समान मात्रा में लेकर पीसकर सिर पर 21 दिन तक पट्टी बाँधने से रतौंधी में लाभ होता है।
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